22. काम, आराम और जीवन

|लंदन में अधिकाधिक लोगों के निर्धनों के लिए घरों की आवश्यकता की क्यों पहचानना शुरू कर दिया था ||बंबई नगर में औपनिवेशिक काल में बने घरों की चार प्रमुख विशेषताएँ बताइए। || बंबई के विस्तार का वर्णन कीजिए। 





Uttam Bediya founder of UID & New life technology 






                6. काम, आराम और जीवन          

             (Work, Leisure and Life)


प्रश्न 1. लंदन में अधिकाधिक लोगों के निर्धनों के लिए घरों की आवश्यकता की क्यों पहचानना शुरू कर दिया था ?

उत्तर―(i) गरीबों का एक कमरे वाले मकानों की शोचनीय अवस्था में रहना जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा समझा जाने लगा।

(ii) अग्निकांडों के खतरे महसूस किए जाते थे।

(iii) मजदूरों के कारण सामाजिक क्रांति की आशंका दिखाई देने लगी विशेषतः रूसी क्रांति के बाद ।

प्रश्न 2. लंदन को साफ करने के लिए क्या कदम उठाए गए ?

उत्तर―(i) भीड़ भरी बस्तियों की भीड़ घटाने, खुले स्थल हरे भरे बनाने,आबादी कम करने और शहरी भूदृश्य सुधारने की कोशिशें हुई।

(ii) अपार्टमेंट्स के विशाल ब्लॉक बनाए गए।

(iii) मकानों के अभाव के प्रभाव को कम करने के लिए किराया नियंत्रण कानून लागू किया गया।

(iv) एकल परिवार-आवास बनाए गए।


प्रश्न 3. न्यू अर्जविक नामक बगीचों के शहर की रूपरेखा किसने बनाई। इसकी दो विशेषताएँ बताइए।

उत्तर―रेमंड अनविन और बैरी पार्कर ।

(i) इसमें साझा बाग-बगीचे, सुन्दर दृश्यों के साथ-साथ प्रत्येक वस्तु पर सूक्ष्म नजर रखी गई थी।

(ii) ऐसे मकानों के केवल संपन्न कामगार ही खरीद सकते थे।


प्रश्न 4. कुछ लोग लंदन की भूमिगत रेल सेवा के विरुद्ध क्यों थे?

उत्तर―(i) कई लोग महसूस करते थे कि इन 'लौह-दैत्यों' ने शहर की अफरा-तफरी और अस्वास्थ्यकर माहौल को और बढ़ा दिया है।

(ii) लगभग दो मील का रेलपथ बनाने के लिए 900 घर उजाड़े गए थे।

(iii) लंदन 'सुरंग रेल सेवा' ने लंदन के निर्धनों को बड़ी संख्या में विस्थापित किया।


प्रश्न 5. नारियों पर नगरीय जीवन का क्या प्रभाव था ?

उत्तर―(i) ब्रिटेन में उच्च और मध्य वर्गीय स्त्रियों को बढ़ता हुआ उच्चस्तरीय अकेलापन भोगना पड़ रहा था हालांकि घरेलू नौकरियों ने मामूली वेतन पर घर का खाना बनाकर, साफ-सफाई और बच्चों की देखभाल का जिम्मा लेकर उनका जीवन सरल बना दिया था

  (ii) वेतन पर काम करने वाली स्त्रियों का अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण था। विशेषतः निम्नतर सामाजिक वर्गों में। कई समाज सुधारकों का मानना था कि एक संस्था के रूप में परिवार टूट चुका है और इसके पुनर्निर्माण व सुरक्षा के लिए स्त्रियों को घरों में वापस धकेलना आवश्यक है।

(iii) नगरीय जीवन में पुरुषों का वर्चस्व था और स्त्रियों को घरों में लौट जाने के लिए विवश किया जाता था।

(iv) कई परंपरावादी लोग नारी की सार्वजनिक स्थलों पर उपस्थिति के विरुद्ध थे।



प्रश्न 6. बंबई नगर में औपनिवेशिक काल में बने घरों की चार प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

उत्तर―(i) अधिकतर मकान निजी जमींदारों के पास थे।

(ii) अधिकांश लोग चॉलों में रहते थे।

(iii) घर बहुत छोटे थे जिसके कारण गलियों और पड़ोस को खाना बनाने,कपड़े धोने और सोने आदि जैसे कई उद्देश्यों से उपयोग में लाया जाता था।

(iv) संपन्न पारसी, मुस्लिम और सवर्ण व्यापारी खुले बंगलों में रहते थे।


 





 प्रश्न 7.19वीं और 20वीं सदी के बीच लंदन में कामकाजी महिलाओं के काम की प्रकृति में क्या अंतर आए ? इन अन्तरों के मूल में कारणों की भी चर्चा कीजिए। [NECRT]

उत्तर―18वीं व 19वीं सदी में भारी संख्या में महिलाएँ कारखानों में काम करती थीं क्योंकि इस काल में अधिकांश उत्पादन गतिविधियाँ परिवार की सहायता से चलती थीं । जैसे-जैसे तकनीक में सुधार आया, कारखानों में औरतों की नौकरियाँ छिनने लगी और वे घरेलू कामों में लौटकर सिमट गई। उन्होंने सिलाई, धुलाई या दियासिलाइयाँ बनाकर अपने परिवार की आय बढ़ाने की कोशिश की। परन्तु 20 वीं सदी में औरतों को युद्धकालीन उद्योगों और दफ्तरों में काम मिलने लगा क्योंकि अधिकतर पुरुष नागरिक मोर्चे पर युद्ध कर रहे थे।


प्रश्न 8. बंबई फिल्म उद्योग कब अस्तित्व में आया ? इस उद्योग ने राष्ट्रीय चरित्र निर्माण में कैसे योगदान दिया?

उत्तर―हरीशचंद्र सखाराम भाटवाडेकर ने 1896 में बंबई में बंबई के हैगिंग ससगार्डन्स में हुई कुश्ती की एक प्रतियोगिता में भाग लिया और यह 1896 में भारत की पहली फिल्म बनी। शीघ्र ही 1913 में दादा साहेब फाल्के ने 'राजा हरिश्चंद्र' फिल्म बनाई। फिल्म उद्योग में अधिक लोग लाहौर, कलकत्ता, मद्रास से बंबईआए थे और इन्हीं लोगों के कारण ही फिल्म उद्योग का ऐसा राष्ट्रीय स्वरूप बना ।


प्रश्न 9. सोलहवीं सदी में दुनियाँ सिकुड़ने लगी थी। इसका क्या मतलब है ? व्याख्या कीजिए। [JAC 2010 (A)]

उत्तर―16वीं सदी में दुनियाँ सिकुड़ने लगी क्योंकि यह काल औद्योगिक क्रांति एवं उपनिवेशवाद प्रभावित था। लोग गाँव से पलायन कर काम धंधे की खोज म शहरों में विस्थापित होने लगे। शहरों में उनके रहने-खाने एवं स्नान की अत्यंत ही संकुचित व्यवस्था थी। कई शहर नियोजित ढंग से नहीं बसे थे। अत : लोगों ने रहने के लिए चालों का सहारा लिया। लंदन जैसे नियोजित शहरों में जनसंख्या एकाएक बदी ही, मुंबई जैसे अनियोजित शहर भी जनाधिक्य से संकुचित होने लगे। नगर, बस्तियाँ आदि अस्तित्व में आए। गाँवों की जनसख्या नगण्य हो गई। लोगों ने काम एवं बेहतर सुविधा के लिए शहरों की तरफ रूख किया।



प्रश्न 10. अठारहवीं सदी के मध्य से लंदन की आबादी क्यों फैलने लगी। [NCERT, JAC 2019(A)]

उत्तर―1750 तक इंग्लैंड और वेल्स का हर 9 में से 1 आदमी लंदन में रहता था। यह एक बहुत ही विशाल शहर था, जिसकी जनसंख 6,75,000 तक पहुँच चुकी थी। 19वीं शताब्दी में भी लंदन की आबादी इसी प्रकार बढ़ती रही।1810 से 1880 के बीच इस शहर की आबादी चार गुना हो गई। 18वीं शताब्दी के मध्य से लंदन की आवदी के फैलने के मख्य कारण निम्नलिखित थे―

(i) विभिन व्यवसाय―लंदन के रोजगार की कमी नहीं थी। 19वीं शताब्दी में यहां लगभग हर व्यवसाय के लोग रहते थे। गैरेथ स्टेडमैन के अनुसार,'उनीसवीं शताब्दी का लंदन क्लार्कों तथा दुकानदारों, छोटे तथा बड़े कारीगरों सिपाहियों, नौकरों, दैनिक श्रम करने वाले मजदूरों तथा फैरीवालों का शहर था।" यहां भिखारियों की भी कमी नहीं थी। यह तथ्य लंदन में फैलती आबादी को ही दर्शाता है।

(ii) लंदन की गोदी―रोजगार की दृष्टि से लंदन की गोदी बहुत ही महत्वपूर्ण थी। यह बड़ी संख्या के कामगारों को रोजगार दे सकती थी।

(iii) विभिन्न उद्योग―लंदन में कई प्रकार के बड़े उद्योग विकसित थे। ये उद्योग थे-परिधान और जूता उद्योग, लकड़ी एवं फर्नीचर उद्योग, धातु एवं इंजीनियरिंग उद्योग, छपाई और स्टेशनरी उद्योग तथा शल्य चिकित्सा उद्योग, घड़ी उद्योग तथा कीमती धातुओं का सामान बनाने वाले उद्योग। ये उद्योग बाहर के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र थे।

(iv) विशाल कारखानों की संख्या में वृद्धि-प्रथम विश्वयुद्ध (1914–18) के दौरान लंदन में मोटरकारों तथा बिजली उपकरणों का निर्माण भी होने लगा।धीरे-धीरे विशाल कारखानों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि शहर तीन चौथा नौकरियां इन्हीं कारखानों में सिमट गईं। सच तो यह है शहर की चमक-दमक,चहल-पहल और रोजगार ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। लोग गांव को छोड़ शहरों की ओर आकर्षित होने लगे। फलस्वरूप लंदन की आबादी फैलने लगी।




प्रश्न 11. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के बीच लंदन में औरतों के लिए उपलब्ध कामों में किस तरह के बदलाव आए? ये बदलाव किन कारणों से आए?

उत्तर―उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के बीच लंदन में औरतों के लिए उपलब्ध कामों में कई बदलाव आए―

(1) मशीनों के आगमन से बदलाव―(i) अठारहवीं शताब्दी के अंत में तथा उन्नीसवीं सदी के आरंभिक दशकों में बहुत-सी औरतें फैक्ट्रियों में काम करती थीं। परन्तु ज्यों-ज्यों तकनीक में सुधार आया और मशीनें आ गईं, कारखानों में औरतों की नौकरियाँ छिनने लगीं। अब वे घरेलू कामों में सिमट कर रह गईं। 1861 की जनगणना के अनुसार लंदन में लगभग अढ़ाई लाख घरेलू नौकर थे। इनमें औरतों की संख्या बहुत अधिक थी। उनमें से अधिकांश हाल ही में शहरों में आई थीं


(ii) बहुत-सी औरतें परिवार की आय बढ़ाने के लिए अपने मकानों का प्रयोग करती थीं। वे अपने मकान में या तो किसी को किराये पर रख लेती थीं या घर पर ही रहकर सिलाई-बुनाई कपड़े धोने या माचिस बनाने जैसे काम करती थी।

(2) युद्धकालीन उद्योगों में काम―बीसवीं सदी में स्थिति में एक बार फिर बदलाव आया। अब औरतों को युद्धकालीन उद्योगों और दफ्तरों में काम मिलने लगा। इसका कारण यह था कि प्रथम विश्वयुद्ध में बहुत से लोगों को सेना में भर्ती कर लिया गया था जिससे श्रम का अभाव हो गया था।

 इस प्रकार औरतें घरेलू काम छोड़ कर फिर बाहर आने लगी।



प्रश्न 12. विशाल शहरी आबादी के होने से निम्नलिखित पर क्या प्रभाव पड़ता था? ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ समझाइए I [NCERT]

(क) जमींदार (ख) कानून-व्यवस्था संभालने वाला पुलिस अधीक्षक

(ग) राजनीतिक दल का नेता।

उत्तर―(क) विशाल शहरी आबादी का जमींदार पर प्रभाव―औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप भारी संख्या में लोग लंदन में आ गए जिससे नगर की जनसंख्या में कई गुणा वृद्धि हुई । इस स्थिति ने लंदन के निवासियों के लिए कई समस्याएँ पैदा कर दी, जबकि निजी जमींदारों जैसे कुछ वर्ग इससे लाभ कमाने में जुट गए। उन्होंने जरूरतमंद लोगों को भारी दामों पर अपनी जमीनें बेचनी शुरू कर दी। उन्होंने अपनी जमीनों पर सस्ते फ्लैट बनाए और उन्हें निर्धन लोगों को किराए पर लगाकर किराए के रूप में बहुत बड़ा धन कमाया।

(ख) विशाल शहरी आबादी का पुलिस अधीक्षक पर प्रभाव―लंदन की विशाल आबादी ने पुलिस अधिक्षक को कानून-व्यवस्था बनाने की चुनौती के रूप में कई समस्याएँ दें दीं―

(i) जब झोंपड़पट्टियों में आग लग जाती तो अनेक घर जल जाते और असंख्य लोग मारे जाते । ऐसे में पुलिस की स्थिति पर नियंत्रण पाना कठिन हो जाता था।

(ii) कामगारों के बेहतर वेतन, बेहतर आवासीय सुविधाओं और मताधिकार के लिए किए जाने वाले विभिन्न आंदोलनों से पुलिस की सिरदर्दी बढ़ जाती थी।

(ग) विशाल शहरी आबादी का राजनीतिक दल के नेता पर प्रभाव―भारी जनसंख्या के कारण लंदन में कानन-व्यवस्था बनाए रखना दुर्गम हो चुका था। राजनीतिक दल सरकार के विरूद्ध आंदोलन के लिए सदैव भीड़ को उकसाते रहते थे। व्यस्कों के लिए मताधिकार के लिए चालिस्ट आंदोलन तथा 10 घंटे काम के आंदोलन जैसे कई 19वीं सदी के आंदोलन प्रत्यक्षत: लंदन की अति भीड़भाड़ का परिणाम थे।



प्रश्न 13. 19वीं सदी में धनी लंदनवासियों के निर्धनों के लिए मकान बनाने की जरूरत का समर्थन क्यों किया? [JAC 2014(A)]

उत्तर―(i) मजदूरों का झोंपड़पट्टियों में रहना बहुत खतरनाक था। वे 29 वर्ष को औसत आयु तक जीवित रहते जबकि इसकी तुलना में उच्च तथा मध्यमवर्गीय लोगों में औसत जीवन दर 55 थी।

(ii) ऐसी झोंपड़पट्टियाँ न केवल निवासियों के लिए हानिकारक थीं अपितु सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी चुनौती थीं और इनसे कोई भी महामारी आसानी से फैल सकती थी।

(iii) घटिया मकानों में अग्निकांड का खतरा रहता था और ये अग्निकांड आसपास के क्षेत्रों को भी विनाश की चपेट में ले लेते थे।

(iv) 1917 की रूसी क्रांति के बाद विशेष रूप से यह समझा जाने लगा कि घटिया मकान कोई भी सामाजिक विनाश कर सकते हैं और झोपड़पट्टियों के निर्धन निवासियों को विद्रोह के लिए उसका सकते हैं।

(v) उपयुक्त आवासों की कमी के कारण जनसंख्या स्तर बढ़ने लगा था।


प्रश्न 14. बंबई की बहुत सी फिल्में शहर में बाहर से आने वालों के जीवन पर आधारित क्यों होती थी? [JAC 2012 (A)]

उत्तर―(i) बंबई की अनेक फिल्में शहर में आने वाले अप्रवासियों और उनके दैनिक जीवन में पेश आने वाली कठिनाइयों के बारे में ही हैं। बम्बई फिल्म उद्योग के कई लोकप्रिय गीत शहर के अंतर्विरोधी आयामों को उजागर करते हैं।फिल्म सी आई डी (1958) में नापक का मित्र गाता है, 'ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ, जरा हटके, जरा बचके, ये है बॉम्बे मेरी जान ।' फिल्म गेस्ट हाउस (1959) में मोहभंग का स्वर सुनाई देता है, जिसका जूता, उसी के सर, दिल है छोटा बड़ा शहर, अरे वाह रे वाह तेरी बंबई।'

(ii) फिल्म उद्योग में काम करने वाले भी प्रायः लाहौर, कलकत्ता, मद्रास आदि शहरों से आए थे। इतनी सारी जगहों से आए लोगों के कारण ही फिल्म उद्योग का ऐसा राष्ट्रीय स्वरूप बना था। लाहौर से आए लोगों ने हिन्दी फिल्म उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण हसन मंटो जैसे अनेक प्रसिद्ध लेखक हिन्दी सिनेमा से जुड़े थे।



प्रश्न 15. 19वीं सदी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों हुई? [JAC 2013 (A), 2015 (A)]

उत्तर―(i) 1819 में बंबई को बॉम्बे प्रेसिडेंसी की राजधानी बना दिया गया जिससे अधिकाधिक लोग इस नगर की ओर आकर्षित हुए।

(ii) कपास और अफ्रीका के उद्योग में वृद्धि के कारण भारी संख्या में व्यापारी तथा बैंकर विभिन कारीगरों और दुकानदारों के साथ-साथ बंबई में निवास करने चले आए।

(iii) विभिन्न उद्योगों की स्थापना का कपड़ा उद्योग के विकास से विभिन्न पड़ोसी क्षेत्रों, विशेषकर निकटवर्ती रत्नागिरी जिले से लोग अधिकाधिक संख्या में अप्रवासी बनकर आने लगे।

(iv) बम्बई यूरोपीय देशों के साथ भारतीय व्यापार का केन्द्रबिन्दु बन गया था ।

(v) रेलवे की सुविधा आ जाने से शहर में उच्चतर संख्या में अप्रवासियों का आगमन शुरू हो गया।

(vi) कच्छ के शुष्क क्षेत्रों में अकाल के कारण भारी संख्या में लोग बंबई की ओर भागने लगे।

(vii) जब बंबई भारतीय फिल्मों का गढ़ बन गई तो कलाकार, नाटककार,नाट्य-लेखक, कवि, गायक, कथाकार इसकी भारी भीड़भाड़ को अनदेखा कर इस शहर की ओर आने लगे थे।



प्रश्न 16. लोगों को मनोरंजन के अवसर उपलब्ध कराने के लिए इंग्लैंड में उन्नीसवीं सदी में मनोरंजन के कौन-कौन से साधन सामने आये?

                                      [JAC 2010 (A); 2016 (A)]

उत्तर―इंग्लैंड में 19वीं सदी में समाज के सभी वर्गों के लिए मनोरंजन के साधन उपलव्य थे। इनमें से मुख्य साधन निम्नलिखित थे―

मनोरंजन के परंपरागत साधन―

(i) धनी ब्रिटेनवासियों के लिए बहुत पहले से ही 'लंदन सीजन' की परंपरा चली आ रही थी। अठारहवीं शताब्दी के अतिम दशकों में 300-400 संभ्रांत परिवारों के लिए ऑपेरा, रंगमंच और शास्त्रीय संगीत आदि कई प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन किए जाते थे।

(ii) मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग अपना खाली समय पब या शराबपरों में बिताते थे। इस अवसर पर वे समाचारों का आदान-प्रदान करते थे और कभी-कभी राजनीतिक विषयों पर भी बातचीत करते थे। मनोरंजन के नये साधन―धीरे-धीरे आम लोगों के लिए भी मनोरंजन के नए तरीके सामने आने लगे। इनमें से कुछ सरकारी धन से आरंभ किए गए थे।

(iii) लोगों को इतिहास का बोध कराने के लिए और ब्रिटेन की उपलब्धियों से परिचित कराने के लिए बहुत से पुस्तकालय, कला दीर्घाएँ और संग्रहालय खोले गए। म्यूजियम में आने वालों की वार्षिक संख्या केवल 15,000 थी। परन्तु 1810 से इस संग्राहलय में प्रवेश शुल्क समाप्त कर दिया गया जिसके जिसके दर्शकों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी ।

 (2) निचले वर्ग के लोगों में संगीत सभा काफी लोकप्रिय थी। 

(3) बीसवीं सदी तक विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए सिनेमा भी मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन बन गया । (4) ब्रिटेन के कारखाना मजदूर छुट्टी के दिनों में समुद्र किनारे बैठकर खुली धूप और स्वच्छ वायु का आनंद लेते थे।




प्रश्न 17. (i) लंदन में आए उन सामाजिक परिवर्तनों की व्याख्या करें जिनके कारण भूमिगत रेलवे की जरूरत पैदा हुई।

(ii) भूमिगत रेलवे के निर्माण की आलोचना क्यों हुई?

उत्तर―(i) आधुनिक युग में औद्योगीकरण नगरीकरण के लिए जिम्मेदार मुख्य घटक था।

(ii) लंदन एक महान् औद्योगिक केन्द्र बन गया था जिसकी जनसंख्या लगभग 675,000 थी। 19वीं सदी तक लंदन फैलता गया और इसकी आबादी चार गुना बढ़ चुकी थी।

(iii) लंदन शहर ने विभिन्न व्यवसाय के लोगों के आकर्षित किया जैसे, क्लार्क, दुकानदार, सैनिक, कर्मचारी, श्रमिक, भिखारी आदि।

(iv) लंदन में आवासीय दशा नाटकीय रूप से बदली जब ग्रामीण लोग नौकरियाँ पाने के लिए इस ओर भागने लगे। कारखानों के मालिक इतनी संख्या में आए मजदूरों के लिए आवास उपलब्ध नहीं करा सकते थे।

(v) मजदूरों ने निजी जमीदारों द्वारा बनाए गए सस्ते व असुरक्षित आवासों में रखना शुरू कर दिया।

(vi) नगर में निर्धनता साक्षात् दिखाई देती थी। 1887 में चार्ल्स बूथ ने एक सर्वेक्षण किया और निष्कर्ष दिया कि 10 लाख जमींदार अति निर्धन थे जो 29 वर्ष की औसत आयु तक जीवित रहते थे। ऐसे लोग प्रायः कार्यस्थलों, अस्पतालों या पागलखानों में मरते थे।

(vii) इसी बीच नगर इतनी दूर तक फैल गया कि लोग चलकर काम पर नहीं जा सकते थे। अतः योजनाकारों में परिवहन के साधनों की आवश्यकता अनुभव को।













प्रश्न 18. पेरिस में हॉस्मानीकरण का क्या अर्थ है? इस तरह के विकास को आप किस सीमा तक सही या गलत मानते हैं? [JAC 2009 (A)]

उत्तर―पेरिस का हॉस्मानीकरण―इसका सीधा अर्थ है कि पेरिस के नये शहर का प्रारूप इसके मुख्य वास्तुकार द्वारा तैयार किया गया था। नेपोलियन III (नेपोलियन बोनापार्ट का भतीजा) के आदेश पर हॉसमान ने 17 वर्ष (1852 से1869 तक) इस नए पेरिस शहर का पुन निर्माण करवाया था। सीधी, चौड़ी सड़कें (या बुलेबस अर्थात् छायादार सड़क) खुले मैदान बनाए गए और बड़े-बड़े पेड़ लगाए गए। 1870 तक पेरिस की सड़कों में से 20% हॉस्मान की योजना के अनुसार बनाई जा चुकी थी। इसके अतिरिक्त रात में गश्त शुरू की गई, बस अड्डों व पानी के नलों की व्यवस्था की गई।


         हॉस्मानीकरण का विरोध―इस प्रकार के विकास का कई लोगों ने विरोध किया। लगभग 350,000 लोग पेरिस के मध्य से विस्थापित कर दिए गए। कुछ लोगों का कहना था कि उनके शहर को दानवी ढंग से रूपांतरित कर दिया गया है। कुछ ने पुरानी जीवन शैली समाप्त होने व उच्चवर्गीय संस्कृति को स्थापना  पर गहरा दुःख व्यक्त किया । अन्य का मानना था कि हॉस्मानीकरण से सड़कों व वहाँ के जीवन की हत्या हुई है और उसकी जगह एक खाली व ऊबाऊ शहर खड़ा कर दिया गया है।

हॉस्मानीकरण के समर्थन में तर्क―नया पेरिस नगर शीघ्र ही एक नागरिक गर्व का प्रतीक बन गया क्योंकि नयी राजधानी समस्त यूरोप के लिए ईर्ष्या का विषय बन चुकी थी। पैरिस बहुत से ऐसे वास्तुशिल्पीय, सामाजिक व बौद्धिक प्रयोगों का केन्द्र पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव डालते रहे।


प्रश्न 19. 'बंबई भारत का एक प्रमुख नगर था।' सोदाहरण सिद्ध कीजिए।

उत्तर―(i) यह गुजरात से आने वाले कपड़े के लिए मुख्य निर्मात केन्द्र था।

(ii) यह मुख्य बंदरगाह नगर के रूप में जाना जाता था।

(iii) यह पश्चिमी भारत का महत्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था।

(iv) यह शीघ्र ही एक मुख्य औद्योगिकी केन्द्र बन गया।

(v) 1869 में स्वेज नहर के खुलने से बंबई पश्चिम के निकट हो गया।


प्रश्न 20. बंबई के विस्तार का वर्णन कीजिए।

उत्तर―(i) 1819 में बॉम्बे प्रेसिडेंसी की राजधानी बनने के बाद बंबई नगर तेजी से फैला।

(ii) यह अफीम तथा कपास का व्यापारिक केन्द्र बन गया और यहाँ कई कपड़ा मिलें स्थापित हो गई।

(iii) इन कारखानों में भारी संख्या में औरतें काम करती थीं परन्तु 1930 के दशक में बढ़ती मशीनों अथवा पुरुषों ने उनके हाथों में काम छीन लिया।

(iv) बंबई दो प्रमुख रेलमार्गों का मिलन-स्थल था। रेलवे ने भारी संख्या में इस शहर में लोगों के प्रवास को बढ़ावा दिया । उदाहरणत: 1888-89 के कच्छ में अकाल के कारण उस क्षेत्र में भारी संख्या में लोग बंबई के निवासी बन गए।


प्रश्न 21. बंबई की आवासीय समस्याओं का विवेचन कीजिए।

उत्तर―(i) बंबई एक भीड़-भाड़ वाला शहर था क्योंकि कि वहाँ एक व्यक्ति के पास निवास के लिए केवल 9.5 वर्ग गज स्थान था।

(ii) 70% कामकाजी लोग बंबई की भीड़भाड़ वाली चॉलों में रहते थे।चॉलें बहुमंजिला भवन होती थीं जिन्हें 1860 के दशक में नगर के 'नेटिव' हिस्सों में बनाना शुरू किया गया ।

(iii) पर बहुत छोटे थे जिसके कारण गलियों और पड़ोस को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों और सामाजिक उत्सवों समारोहों के लिए प्रयुक्त करते थे।

(iv) दमित वर्ग के लोगों के लिए घर ढूंँढ पाना अति कठिन था।


प्रश्न 22. कलकत्ता की प्रदूषण-समस्याओं का वर्णन करें।

उत्तर―(i) कलकत्ता का वायु-प्रदूषण का पुराना इतिहास है। यहाँ के लोग वर्ष भर धुएँ की मटमैली हवा में साँस लेते थे, विशेषत: सर्दियों में । दलदली भूमि पर बसा होने के कारण नगर में अधिक कोहरा पैदा होता था जो धुएँ के साथ मिलकर काली धुँध पैदा कर देता है।

(ii) ईंधन के रूप में उपलों तथा ईंधन जलाने से भारी वायु प्रदूषण रहता था।

(iii) औपनिवेशिक अधिकारियों ने शुरू-शुरू में दुर्गध पैदा करने वाले स्थानों की सफाई का मन बनाया परन्तु 1855 में शुरू हुई रेलवे लाइन ने तो एक और प्रदूषक तत्त्व रानीगंज से आने वाला कोयला भी सामने ला दिया। भारतीय कोयले में राख अधिक होती है जिस कारण अधिक समस्या पैदा हो गई। गंदे कारखानों को शहर से बाहर निकालने के लिए कई याचिकाएं दी गई परन्तु कोई फल न निकला।


(iv) कलकत्ता पहला नगर था जहाँ 1863 में धुआँ निरोधक अधिनियम पारित किया गया था।


(v) बंगाल धुआँ निरोधक आयोग के निरीक्षकों ने अंततः औद्योगिक धुर पर काबू पा लिया । परन्तु घरेलू धुएँ पर नियंत्रण कर पाना अभी बहुत कठिन था।


प्रश्न 23. मुम्बई में निवास कर रहे लोगों के सामाजिक जीवन पर चर्चा करें।

उत्तर―भीड़-भाड़ वाले शहर होने के कारण मुम्बई के लोगों में परस्पर निर्भरता बन गई थी।

(i) घर छोटे होने के कारण गोलियों और पड़ोस को विभिन्न प्रकार को गतिविधिों व सामाजिक समारोहों के लिए प्रयुक्त किया जाता था।

(ii) कई खुले मैदानों में शरावघर तथा अखाड़े खुल गए।

(iii) गलियाँ खोलने तथा अन्य आराम की गतिविधियों के लिए प्रयुक्त होती है।

(iv) मिलों के आसपास की बस्तियों में जाति कुटुंब के मुखिया गाँव प्रधान जैसी हैसियत रखते थे। कई बार मिल-मजदूरों का ठेकेदार ही मोहल्ले का नेता भी होता था। वह विवादों को सुलझाता, खाने-पीने का प्रबंध करता ,आवश्यकता पड़ने पर ऋण भी उपलब्ध करवाता था। वह राजनीतिक दश के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ लाता था।













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21. औद्योगिकरण का युग

||पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा||अथवा, भारतीय उद्योगों पर प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों की चर्चा करें।||ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ||[JAC 2009 (S); 2016 (A)]



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                                                     5. औद्योगिकरण का युग      

                                              (The Age of Industrialisation)


प्रश्न 1. ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए। व्याख्या करें।

उत्तर―स्पिनिंग जैनी का आविष्कार जेम्स हरग्रीब्ज ने 1764 में किया था।इस मशीन ने कताई प्रक्रिया तेज कर दी और श्रमिकों की मांग घट गई। इस मशीन द्वारा अकेला कारीगर अनेक पूनियाँ बना सकता था और एक ही समय में कई धागे बना सकता था। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि बुनकरों की माँग घटने से वे अधिकतर लोग बेरोजगार होने लगे।बेरोजगारी के इसी डर के कारण भारतीय महिला कामगारों ने, जो हाथ की कताई पर निर्भर थीं, स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले शुरू कर दिए।



प्रश्न 2. कपास के कारखाने का निर्माण किसने किया? इससे उत्पादन के सुधार में कैसे सहायता मिली?

उत्तर―रिचर्ड आर्कराइट ने कपास के कारखाने का निर्माण किया था।

(i) महँगी मशीनों को खरीद कर स्थापित किया जाता था और कारखाने का रख-रखाव किया जाता था।

(ii) कारखाने के भीतर सभी प्रक्रियाएँ एक छत व प्रबंधन के नीचे लाई गई। इससे उत्पादन-प्रक्रिया पर निगरानी, गुणवत्ता का निरीक्षण और श्रमिकों पर नजर रखना सुगम हो गया । गाँवों में उत्पादन के समय में सारे काम सहज नहीं थे।


प्रश्न 3.19वीं सदी के प्रारम्भ में भारतीय बुनकरों की क्या समस्याएँ थी ?

उत्तर―(i) ब्रिटेन में औद्योगिकरण के कारण उनका नियांत बाज़ार ठप हो गया।

(ii) ब्रिटिश व्यापारियों ने मशीनो कपड़े भारत में निर्यात करने शुरू कर दिए जिससे उनके स्थानीय बाजार सिकुड़ गए।

(iii) इंग्लैंड में कच्ची कपास के निर्यात के कारण भारत में कच्चे माल की कमी हो गई।

(iv) जब अमेरिकी गृह-युद्ध छिड़ा और अमेरिका से कपास की आपूर्ति बंद हो गई तो इंग्लैंड भारत की ओर देखने लगा। भारत से कच्ची कपास का निर्यात बढ़ गया तो यहाँ कच्ची कपास के दाम आकाश छुने लगे। भारतीय बुनकरों की आपूर्ति ठप्प हो गई और वे उच्चतर दामों पर कपास खरीदने को विवश हो गए।



प्रश्न 4. भारत में कारखानों के विकास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर―भारत में सबसे पहले कपास और पटसन के कारखानों को स्थापना हुई। पहली कपड़ा मिल 1854 में बंबई में लगी थी। 1864 में इनकी संख्या चार हो गई हो गई। कपड़ा मिल के बाद 1855 में बंगाल में पटसन मिल स्थापित हुई।

     1862 में बंगाल में ही एक और पटसन मिल स्थापित की गई । उत्तरी भारत में 1860 के दशक में कानपुर में एलिन मित प्रारंभ हुई और एक वर्ष बाद अहमदाबाद में प्रथम कपड़ा मिल लगाई गई। 1874 तक मद्रास की पहली कताई तथा बुनाई मिल ने उत्पादित शुरू कर दिया।


प्रश्न 5. अंग्रेज भारतीय व्यापारी उद्योगपतियों के साथ किस प्रकार भेदभाव करते थे?

या, भारतीय व्यापारी उद्योगपतियों की कुछ समस्याओं का चर्चा कीजिए।

उत्तर―(i) जिस बाजार में भारतीय व्यापारियों को काम करना था। वह सीमांत से सीमिततर होता गया।

(ii) भारतीयों को यूरोप में निर्मित माल का व्यापार व व्यवसाय करने से प्रतिबंधित कर दिया गया और उन्हें मांग करने पर अधिकांश कच्चे माल, खाद्यन्न,कच्ची कपास, अफीम, गेहूँ, नील आदि का इंग्लैंड को निर्यात करना पड़ता था।

(iii) आधुनिक जलपोतों के आने से भारतीय व्यापारियों को जहाजरानी व्यवसाय से हटा दिया गया। यूरोपीय व्यापारी उद्योगपतियों के पास वाणिज्य के अपने विशेष केन्द्र थे और भारतीयों को इनका सदस्य बनने की अनुमति नहीं थी।



प्रश्न 6. उन प्रांतों के नाम लिखें जहाँ विशाल उद्योग स्थापित किए गए । आप कैसे कह सकते हैं कि 20वीं सदी के अंत में भी छोटे पैमाने के उत्पादन ने अपना वर्चस्व कायम रखा?

उत्तर―(i) बंगाल (ii) बंबई ।

(i) पंजीकृत कारखानों में कुल औद्योगिक श्रम शक्ति का एक बहुत बड़ा अनुपात अर्थात् 5% ही काम करता था।

(ii) हस्तशिल्प उद्योगों का विस्तार हो चुका था।

(iii) 20वीं सदी में हथकरघा कपड़ा उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ा अर्थात् 1900 और 1940 के बीच तिगुना हो गया था।


प्रश्न 7. बीसवीं सदी में हथकरघे (hand loom) के कपड़े का उत्पादन बढ़कर 1900 और 1940 के बीच तिगुना हो गया था। कारण बताइए।

उत्तर―(i) हथकरघा उत्पादकों ने नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जिससे उत्पादन में सुधार हुआ परन्तु मूल लागत में कोई वृद्धि भी नहीं हुई।

(ii) बीसवीं सदी के दूसरे दशक तक आते-आते अधिकतर बुनकरों को फ्लाई शटल वाले करघों का प्रयोग करते देखा जा सकता था। इससे प्रति व्यक्ति उत्पादकता बढ़ी, उत्पादन बढ़ा और श्रम की मांग में कमी आई। 1941 तक भारत में 35% से अधिक हथकरघों में फ्लाई शटल लगे होते थे। त्रावणकोर, मद्रास, मैसूर, कोचीन, बंगाल आदि क्षेत्रों में तो ऐसे हाथकरघे 70-80 प्रतिशत तक थे।

(iii) इसके अलावा कई छोटे-छोटे सुधार किए गए जिनसे बुनकरों को अपनी उत्पादकता बढ़ाने और मिलों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिली।


प्रश्न 8. जॉबर (Jobber) किसे कहते थे?

उत्तर―मिलों की संख्या बढ़ने के साथ मजदूरों की मांग भी बढ़ रही थी और रोजगार चाहने वालों की संख्या रोजगारों के मुकाबले हमेशा अधिक रहने के कारण नौकरी पाना कठिन था। मिलों में प्रवेश भी निषिद्ध था। उद्योगपति नए मजदूरों की भर्ती के लिए प्रायः एक जॉबर रखते थे। जॉबर प्राय: कोई पुराना और विश्वस्त कर्मचारी होता था। वह अपने गाँव से लोगों को लाता था, उन्हें काम का भरोसा देता था, उन्हें शहर में बसने के लिए सहायता करता था और मुसीबत में आर्थिक सहायता भी करता था। इस प्रकार जॉबर शक्तिशाली और मजबूत व्यक्ति बन गया था। बाद में जॉबर मदद के बदले पैसे व उपहार मांगने लगे और मजदूरों के जीवन को नियंत्रित करने लगे।


प्रश्न 9. आदि-औद्योगिक व्यवस्था की चार विशेषताएँ बताइए।

                                                                  [NCERT]

उत्तर―(i) यह उत्पाद की विकेन्द्रित व्यवस्था थी। व्यापारी रहने वाले तो शहरों के थे परन्तु उनका काम प्रायः ग्राम्य क्षेत्रों में फैला था।

(ii) यह ऐसी व्यवस्था थी जिसे व्यापारियों ने नियंत्रित कर रखा था और वस्तुओं का उत्पादन उन उत्पादकों द्वारा हो रहा था जो अपने खेतों में परिवारों के बीच रहकर काम कर रहे थे।

(iii) इस व्यवस्था में पूरे परिवार को शामिल करके काम किया जाता था।

(iv) श्रमिक गाँवों में रहते थे और अपने छोटे खेतों पर खेती भी करते थे।


प्रश्न 10. 19वीं सदी के अंत में कपड़ा उद्योग के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी क्यों हुई?

उत्तर―(i) नए आविष्कार―18वीं सदी में कई ऐसे आविष्कार हुए जिन्होंने उत्पादन प्रक्रिया (कर्डिग, ऐंठना व कताई और लपेटने) के हर चरण की कुशलता बढ़ा दी। प्रति मजदूर उत्पादन बढ़ गया जिससे मात्रा के साथ गुणवत्ता भी बढ़ गई और पहले से अधिक मजबूत धागा व रेशों का उत्पादन होने लगा।

(ii) कपड़ा मिल की स्थापना―रिचर्ड आर्कराइट ने सूती कपड़ा मिल की स्थापना की थी। अब महंगी नई मशीनें खरीदकर उन्हें कारखानों में लगाया जा सकता था। कारखाने में सारी प्रक्रियाएँ एक छत के नीचे और एक मालिक के हाथ में आ गदथी। इससे उत्पादन प्रक्रिया पर निगराना, गुणवत्ता का ध्यान रखना और मजदूरों का निरीक्षण सुगम हो गया था। जब तक उत्पादन गाँवों में हो रहा था, तब तक ये सारे कार्य सहज नहीं थे।













प्रश्न 10. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कछ उद्योगपति मशीनों के बजाए हाथों के काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे?

अथवा, नयी प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए कई उत्पादक उत्सुक क्यों नहीं थे? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। [NCERT]

उत्तर―उन्नीसवाँ शताब्दी तक यूरोप मशीनी युग में प्रवेश कर चुका था।बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हो गए थे और नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग होने लगा था। फिर भी यूरोप के कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे। इसके लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे―

(i) नयी प्रौद्योगिकी महँगी थी, अतः उत्पादक तथा उद्योगपति उनके प्रयोग के प्रति सावधान रहते थे।

(ii) मशीनें प्रायः खराब हो जाती तो उन्हें ठीक करने पर भारी पैसा लगता था।

(iii) वे उतनी कार्यकुशल नहीं थीं जैसा दावा उनके निर्माता व आविष्कारक करते थे।

(iv) निर्धन किसान तथा अप्रवासी भारी संख्या में नगरों की ओर काम की खोज में पहुँचने लगे । अतः श्रमिकों की आपूर्ति मांग से कहीं अधिक थी। अतः श्रमिक कम वेतन पर मिल रहे थे।

(v) हाथ की कारीगरी द्वारा उत्पादों में विविधता लाई जा सकती थी। मशीनों से एकरूप उत्पाद ही बड़ी संख्या में बनाए जा सकते थे। बाजार में प्रायः बारीक डिजाइन और खास आकार वाली चीजों को काफी माँग रहती थी।

उदाहरणतः ब्रिटेन में 19वीं सदी के मध्य में 500 तरह के हथौड़े और 45 तरह की कुल्हाड़ियाँ बनती थीं । इनके निर्माण में यांत्रिक प्रौद्योगिकी की नहीं अपितु मानव-कौशल की जरूरत थी।



प्रश्न 11. 18वीं सदी के अंत तक सूरत की बंदरगाह हाशिए पर पहुँच गया। स्पष्ट कीजिए। [JAC 2014 (A)]

उत्तर―(i) अधिकतर यूरोपीय कंपनियों के पास भारी संसाधन थे जिसके कारण भारतीय व्यापारी तथा व्यवसायी उनसे प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई का अनुभव कर रहे थे।

(ii) यूरोपीय कंपनियाँ स्थानीय दरबारों से विभिन्न राहतें पाकर शक्ति ग्रहण करती जा रही थीं।

(iii) कई कंपनियों को व्यापार का एकाधिकार मिल गया था।इन सबके परिणामस्वरूप सूरत और हुगली को बंदरगाहें कमजोर पड़ गईं जहाँ से स्थानीय व्यापारी व्यापार चलाते थे। इन बंदरगाहों से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई। पहले जिस ऋण से व्यापार चलता था वह खत्म होने लगा।धीरे-धीरे स्थानीय बैंकर दिवालिया हो गए। 17वीं सदी के अंतिम वर्षों में सूरत बंदरगाह से होने वाले व्यापार का कुल मूल्य 1.6 करोड रुपये था। 1740 के दशक तक यह गिरकर केवल 30 लाख रह गया। समय पाकर सूरत और हुगली कमजोर पड़ गए और बंबई व कलकत्ता उभरने लगे।


प्रश्न 12. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ?

                                                     [JAC 2011 (A)]

उत्तर―ईस्ट इंडिया कंपनी की राजनीतिक सत्ता स्थापित हो जाने के बाद कंपनी ने भारतीय व्यापार पर अपना एकाधिकार स्थापित करने के लिए कई पग उठाए। उसने प्रतिस्पर्धा समाप्त करने, लागतों पर अंकुश रखने और कपास तथा रेशम से बने वस्वों की नियमित आपूर्ति के लिए एक नयी व्यवस्था लगू की। यह काम निम्नलिखित कई चरणों में किया गया―

(i) गुमाश्तों की नियुक्ति―कंपनी ने कपड़ा व्यापार में सक्रिय व्यापारियों और दलालों को समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक-से-अधिक प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया। बुनकरों पर निगरानी रखने, माल इकट्ठा करने और कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त कर दिए गए। उन्हें गुमाश्ता कहा जाता था

(ii) बुनकरों द्वारा अन्य व्यापारियों को माल बेचने पर रोक―कंपनी को माल बेचने वाले बुनकरों पर अन्य खरीददारों के साथ कारोबार करने पर रोक लगा दी गई। इसके लिए उन्हें पेशगी धन दिया जाने लगा। काम का ऑर्डर पाने वाले बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए ऋण दे दिया जाता था । ऋण लेने वाले बुनकरों का अपना कपड़ा गुमाश्ते को ही देना पड़ता था। वे उसे किसी अन्य व्यापारी को नहीं बेच सकते थे।

(iii) बुनकरों से कठोर व्यवहार―गुमाश्ते बुनकरों से अपमानजनक व्यवहार करते थे। वे सिपाहियों तथा चपरासियों को अपने साथ लेकर आते थे और माल समय पर तैयार न होने पर बुनकरों को दंड देते थे। बुनकरों को प्रायः बुरी तरह पीटा जाता था और कोड़े लगाए जाते थे। अब बुनकर न तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी अन्य सौदागार को अपना माल बेच सकते थे।उन्हें कंपनी जो कीमत देती थी वह बहुत कम थी। परन्तु ऋण-राशि के कारण कंपनी से बंधे हुए थे।


प्रश्न 13. पेशगी की प्रणाली बुनकरों के लिए हानिकारक क्यों सिद्ध हुई?

उत्तर―(i) बुनकरों के पास मोल-भाव करने का अवसर नहीं बचा था।

(ii) अधिकतर बुनकरों ने अपनी जमीन बँटाई पर दे दी और वे सारा समय बुनाई में ही लगाते थे। इस बुनकर कार्य में उनका पूरा परिवार ही लगा रहता था।

(iii) अपनी जमीन खोने के बाद अधिकतर युनकर खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर हो गए।

(iv) नए गुमाश्ता बाहरी लोग थे और उनके ग्रामीणों से कोई सामाजिक संपर्क नहीं थे। अतः वे आक्रामक होकर काम करते, पुलिस के साथ गाँवों में घूमते और आपूर्ति में देरी के लिए बुनकरों को दंड देते थे। अत: बुनकरों तथा गुमाश्तों के बीच झड़पों की रिपोर्ट मिलने लगीं।


प्रश्न 14. उन्नीसवीं सदी के महत्त्वपूर्ण एक उद्यमी या व्यापारिक संगठन के बारे में लिखें।

उत्तर―(i) द्वारकानाथ टैगोर―वे बंगाल के प्रमुख व्यापारी थे। उन्होंने चीन के साथ व्यापार में खूब धन कमाया और उसे उद्योगों में निवेश करने लगे।

1830-40 के दशकों में उन्होंने 6 संयुक्त उद्यम कंपनियाँ लगा ली थीं। यद्यपि उनका व्यवसाय 19वीं सदी के मध्य में बैठ गया तथापि उनेंने 19वीं सदी में चीन के साथ व्यापार करके सफल होने वाले उद्योगपतियों को मार्ग दिखाया।

(ii) डिनशॉ पेटिट―वे एक पारसी उद्यमी थे और भारत में प्रथम कपड़ा मिल के संस्थापक थे।

(iii) जमशेदजी नुसरवान जी टाटा―उन्हें प्रायः 'भारतीय उद्योग का जनक' कहा जाता है। उन्होंने आंशिक रूप से चीन को निर्यात करने और आंशिक रूप से इंग्लैंड को कच्ची कपास निर्यात करके पैसा कमाया था।

(iv) सेठ हुकुमचंद―वे एक मारवाड़ी व्यवसायी थे जिन्होंने कलकत्ता में 1917 में प्रथम पटसन मिल की स्थापना की थी।

(v) बिड़ला―ये मारवाड़ी संगठन से संबद्ध थे जिन्होंने कपास के सौंदों में व्यापार स्थापित किया था।


प्रश्न 15. पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा? [JAC 2009 (S); 2016 (A)]

अथवा, भारतीय उद्योगों पर प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों की चर्चा करें।

उत्तर―(i) जब ब्रिटिश मिलें युद्धकाल में सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन में व्यस्त थीं, तब भारत में मैनचेस्टर का आयात कम हुआ।

(ii) अचानक भारतीय मिलों की आपूर्ति के लिए विशाल बाजार मिल गया ।

(iii) युद्ध लंबा खिंच गया तो भारतीय कारखानों में भी फौज के लिए बोरियाँ, वदी, तंबू, चमड़े के जूते, घोड़े व खच्चर की जीन तथा अन्य कई सामान बनने लगे।

(iv) नए कारखाने लगाए गए और पुरानों में कई पालियों में काम होने लगा। बहुत से नए मजदूरों को काम पर रखा गया और प्रत्येक को पहले से भी अधिक समय तक काम करना पड़ता था। युद्ध काल में औद्योगिक उत्पादन तेजी से बढ़ा।



प्रश्न 16. औद्योगीकरण एक मिश्रित वरदान था।' सोदाहरण स्पष्ट करें।

उत्तर―औद्योगीकरण के सकारात्मक प्रभाव―(i) सस्ती वस्तुएँ–मशीनों द्वारा बनी वस्तु सस्ती व उत्तम होती थीं। अतः उपनिवेश के लोग सस्ती, उत्तम तथा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं खरीद सकते थे।

(ii) नये उद्यमी―औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय उद्यमियों को कारखानों में अवसर प्रदान किए। यद्यपि ये नये खिलाड़ी थे तथापि वे अच्छा धन कमाने लगे थे।

(iii) औद्योगिक क्षेत्र का विकास―विदेशियों के आगमन से पूर्व बहुत से लोग कृषि पर लगे हुए थे परन्तु औद्योगीकरण ने उन्हें दूसरे क्षेत्रों में काम के अवसर प्रदान किए।

श्रमिकों का जीवन―औद्योगीकरण की प्रक्रिया अपने साथ नवोदित आद्योगिक श्रमिकों के लिए कष्ट भी लेकर आई।

बुनकरों पर प्रभाव―बुनकरों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण रखने के लिए कंपनी ने पेशगी की व्यवस्था प्रारम्भ की। एक बार आर्डर मिलने पर, बुनकरों को उत्पादन के लिए कच्चा माल खरीदने को ऋण दिया जाता था। जो ऋण लेते थे, उन्हें अपना तैयार माल गुमाश्तों को देना पड़ता था। वे इसे किसी अन्य व्यापारी को नहीं बेच सकते थे। बुनकरों के लिए पेशगी की प्रणाली हानिकारक सिद्ध हुई।

(a) बुनकरों ने मोल-भाव के अवसर खो दिए थे।

(b) अधिकतर बुनकर अपनी भूमि बँटाई पर देकर सारा समय बुनाई में ही लगाने लगे। बुनाई में प्रायः उनका पूरा परिवार ही खप जाता था।

(iii) व्यावसायियों तथा व्यापारियों पर प्रभाव-मशीन द्वारा बने कपड़ों के भारत में आयात पर भारतीय व्यापारियों की अर्थव्यवस्था पर कुछ गंभीर प्रभाव पड़े-

(a) निर्यात बाजार का ठप होना―औद्योगीकरण से पूर्व भारतीय व्यापारी विश्व के विभिन्न देशों में अपने उत्पाद निर्यात करते थे परन्तु मशीन से बने कपड़े के आने से उनका विश्व बाजार ठप्प हो गया।

(b) स्थानीय बाजार का सिकुड़ना―मशीन से बने कपड़े उत्तम तथा सस्ते थे। अतः निर्माता उनके साथ प्रतिस्पर्धा करने में असफल रहे । अतः विश्व बाजार के साथ-साथ उनका स्थानीय बाजार भी ठंडा पड़ने लगा।















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20. भूमंडलीकृत विश्व का बनना


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                                                     (The Making of a Global World)


                                                                लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर






प्रश्न 1. 19वीं सदी में यूरोपीय लोग भागकर अमेरिका क्यों जाने लगे थे ?

उत्तर―(i) 19वीं सदी तक यूरोप में गरीबी और भूख का साम्राज्य था।

(ii) नगरों में भीड़ थी और वहाँ भयानक रोग व्यापक रूप में फैले हुए थे।

(iii) धार्मिक विवाद आम थे और धार्मिक असंतुष्टों को दौडत किया जा रहा था। अतः लोग यूरोप छोड़कर अमेरिका में प्रवास करने लगे थे।


प्रश्न 2. अफ्रीकी मजदूरों को प्रशिक्षित करने तथा कब्जे में रखने के लिए यूरोपीय मालिक क्या ढंग अपनाते थे?

उत्तर―(i) भारी टैक्स लगाए जाते जिन्हें चुकाने के लिए बागानों तथा खानों में वेतन के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी।

(ii) किसानों को उनकी जमीन से हटाने के लिए उत्तराधिकार कानून भी बदल दिए गए । अब परिवार के केवल एक सदस्य को पैतृक संपत्ति मिलेगी और अन्य लोगों को श्रम बाजार में धकेला जाता था।

(iii) खानकर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया जाता और उनके स्वतंत्र घूमने-फिरने पर पाबंदी लगा दी गई।


प्रश्न 3. उदाहरण देकर गिरमिटिया श्रमिक (Indentured labour)का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर―यह एक प्रकार की बंधुआ मजदूरी होती थी जिसके अनुसार मालिक किसी मजदूर व्यक्ति को विशेष समय और धन के अनुबंध पर किसी भी देश या घर में काम करवाने के लिए प्रयुक्त कर सकता था।

      19वीं सदी में लाखों भारतीय तथा चीनी मजदूर विश्व के विभिन्न भागों के बागानों, खानों, सड़कों तथा रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए


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19. भारत में राष्ट्रवाद

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                                                              3. भारत में राष्ट्रवाद             

                                                        (Nationalism in India)


प्रश्न 1. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया? व्याख्या करें।

उत्तर―(i) युद्ध-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों पर अतिरिक्त कर भार आरोपति किये, जिसके परिणामस्वरूप उपनिवेशों में विकट आर्थिक एवं राजनीति स्थित उत्पन्न हुई। सरकार की आर्थिक नीतियों से वस्तुओं की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बढ़ गयीं।

(ii) भारी संख्या में भारतीय सैनिकों को युद्ध में झोंक दिया गया । गाँवों में सिपाहियों को जबरन भर्ती किया गया।

(iii) उपर्युक्त परिस्थितियों के प्रति सरकार का रूख न सिर्फ उदासीन बल्कि असहयोगात्मक रहा, जिसके परिणमस्वरूप लोगों में सरकार के प्रति असंतोष और विद्रोह का भाव पनपा तथा लोग राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए मजबूर हुए।


प्रश्न 2. भारतीयों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित करने वाले कारकों का उल्लेख करें।अधवा, उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ? कारण दें।

उत्तर―(i) उपनिवेशों में आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी। भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद एवं सामूहिक अपनेपन के भाव का उदय इसी कारण हुआ।

(ii) औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष के दौरान लोगों में आपसी एकता की भावना का संवार हुआ सभी जाति, वर्ग और संप्रदायों के लोग विदेशी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट हुए।

(iii) उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था। इस प्रकार औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लोग एक हुए तथा उनमें राष्ट्रवाद के आदर्श का बोध जागृत हुआ ।

(iv) इसेन स्थानीय लोगों में राष्ट्रवादी और उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक अचछा प्लेटफार्म प्रदान किया। राष्ट्रवादी भावना के जागरण से उपनिवेशों में किसी अन्य राष्ट्र की पराधीनता के विरुद्ध आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई।

         इस प्रकार, उपनिवेश विरोधी आन्दोलन सभी उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के विकास के लिए प्रजनन भूमि बना ।









प्रश्न 3. 'बहिष्कार' से क्या अभिप्राय है?

उत्तर―'बहिष्कार' विरोध का एक गाँधीवादी रूप है। बहिष्कार का अर्थ है― किसी के साथ सम्पर्क रखने और जुड़ने से इन्कार करना, गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा उसकी चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इन्कार करना।


प्रश्न 4. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब हैं?

उत्तर―(i) सत्याग्रह एक आधुनिक राजनीतिक दर्शन है जिसका प्रतिपादन महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्षों में किया।

(ii) सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता है। इसका सीधा अर्थ यह था कि सच्चे उद्देश्यों के लिए अन्यायी के खिलाफ किसी प्रकार के शारीरिक बल के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है।

(iii) प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिये बिना, केवल अहिंसा के बल पर अन्यायी की चेतना को जागृत कर उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है। अहिंसा, सत्याग्रह का मूल मंत्र था

(iv) अहिंसा के बल पर उत्पीड़क अथवा अन्यायी को सत्य को स्वीकार करने के लिए विवश करना ही सत्याग्रह है, क्योंकि अन्ततः सत्य की ही विजय होती है।


प्रश्न 5. जालियाँवाला बाग हत्याकांड पर संक्षिप्त निबंध लिखिए।इसके क्या प्रभाव हुए?

अथवा, जलियाँवाला बाग हत्याकांड कब, कहाँ क्यों हुआ?

उत्तर―(i) 13 अप्रैल, 1919 को जालियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गाँव वाले सालाना बैसाखी मेले में शिरकत करने के लिए जालियाँवाला बाग मैदान में जमा हुए थे।

(ii) लोग सरकार द्वारा लागू किये गये दमनकारी कानून 'रॉलेट एक्ट' का विरोध प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए। यह मैदान चारों तरफ से बंद था। शहर से बाहर होने के कारण लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है।

(iii) जनरल डायर हथियार बंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा । सेन मैदन से बाहर निकलने के सारे रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दीं। सैकड़ों लोग मारे गये। Pp

(iv) प्रभाव―भारत के इतिास की यह सबसे दर्दनाक घटना था । इससे भारत भर मे रोष की लहर फूट निकली। लोग सड़कों पर उत्तर गये और हड़तालें होने लगीं। लोगों ने सरकारी इमारतों पर हमला किया और जगह-जगह पर लोगों की पुलिस से भिड़न्त हुई। लोगों को आतंकित ओर अपमानित करने की मंशा से सरकार ने इन विरोधों को निर्ममता से कुचला





प्रश्न 6. खिलाफत आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर―प्रथम विश्वयुद्ध में ऑटोमन तुर्की को भारी पराजय का मुंह देखना पड़ा। अँग्रेजों ने यह घोषणा की कि, मुस्लिम जगत के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) का पद समाप्त कर दिया जायेगा। दुनिया भर के मुसलमानों ने इसका तीव्र विरोध किया भारत में खलीफा को बनाये रखने के लिए अली बंधुओं ने खिलाफत समिति का गठन किया। 19 अक्टूबर, 1920 ई. को खलीफा पद की समाप्ति के खिलाफ खिलाफत आन्दोलन की शुरुआत हुई।गाँधी जी ने इसे हिन्दू-मुसलमानों को एक मंच पर लाने का अवसर समझा तथा 1920 ई. में काँग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफ आंदोलन में सहयोग करने की घोषणा की।


प्रश्न 7. असहयोग आंदोलन क्या था ?

अथवा, ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग का रास्ता क्यों अपनाया ?

उत्तर―(i) प्रथम विश्वयुद्ध में महात्मा गाँधी के आह्वान पर भारतीय जनता ने ब्रिटिश सरकार को तन-मन-धन से पर्याप्त सहायता की थी । युद्धकाल में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय जनता को लोकतंत्र की रक्षा का आश्वासन दिया था किन्तु बाद में इसी सरकार ने रॉलट ऐक्ट जैसे काले कानून को भारतवर्ष में लागू कर दिया।

(ii) निराशा की इसी दशा में सम्पूर्ण देश में असंतोष का वातावरण गरमा गया। लोगों ने जगह-जगह पर हड़तालों के द्वारा अपने-अपने असंतोष की अभिव्यक्ति और विरोधों का प्रदर्शन किया। सरकार ने इन विरोधों और हड़तालों का क्रूरतापूर्वक दमन किया।

(iii) इसी समय 1919 ई. में जालियाँवाला बाग की लोमहर्षक और हृदयविदारक घटना घटी।

(iv) महात्मा गाँधी ने इन स्थितियों का सूक्ष्मता एवं गम्भीरतापूर्वक आकलन किया। इस आकलन ने उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुँचाया कि यदि जनता किसी भी कार्य में सरकार से सहयोग न करे तो सरकार नही चल सकती। जन असहयोग के फलस्वरूप विवश होकर सरकार को जनता की मांगे माननी पड़ेगी ओर स्वराज की स्थापना हो जायेगी। अतः गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन का नारा बुलंद किया।

(v) गाँधी जी असहयोग आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारम्भ करना चाहते थे। उनका विचार था कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गयी पदवियों को लौटा दिया जाय तथा उसके बाद सरकारी नौकरियों तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाय ।


प्रश्न 8. असहयोग आन्दोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गये विभिन्न तरीकों का उल्लेख करें।

उत्तर―(i) गाँधी जी असहयोग आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारम्भ करना चाहते थे। उनका विचार था कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गयी पदवियों को लौटा दिया जाय तथा इसके बाद सरकारी नौकरियों तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाय।

(ii) असहयोग आंदोलन का प्रारम्भ शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये, शिक्षकों ने तयागपत्र दे दिया,वकीलों ने मुकदमें लड़ने बंद कर दिये तथा मद्रास के अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया ।

(iii) विदेश वस्तुओं का बहिष्कार किया गया. शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी तथा विदेशी कपड़ों की होली जलायी गयी।

(iv) व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इन्कार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन और उत्पदन बढ़ा।

(v) ग्रामीण इलाकों में जमींदारों को नाई-धोबी की सुविधाओं से वंचित करने के लिए पंचायतों ने 'नाई-धोबी बंद' का फैसला किया।



प्रश्न 9.असहयोग आंदोलन असफल क्यों हुआ?

अथवा, अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असहयोग आंदोलन कहाँ तक सफल रहा? अथवा, 

'बहिष्कार' से क्या अभिप्राय है ? गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर― 'बहिष्कार' विरोध का एक गाँधीवादी रूप है। बहिष्कार का अर्थ है-किसी के साथ सम्पर्क रखने और जुड़ने से इन्कार करना, गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इन्कार करना।

असहयोग आंदोलन की असफलता के कारण―

(i) योग्य नेतृत्व का अभाव―आंदोलन की शुरुआत गाँधी जी ने की तथा शीघ्र ही यह आंदोलन देश के कोने-कोने में फैल गया। लोगों ने अति उत्साह से इस आंदोलन में भाग लिया, लेकिन देश के अन्य भागों में योग्य नेतृत्व के आव में वे सही दिशा से भटक गये।

(ii) आर्थिक कारण―विदेशी कपड़ों का बहिष्कार बड़े पैमाने पर किया गया तथा लोगों को खादी का प्रयोग करने को प्रेरित किया गया। लेकिन खादी का कपड़ा, मिलों में भारी पैमाने पर बनने वाले कपड़े की अपेक्षा काफी महँगा था। गरीब इसे खरीद नहीं सकते थे। अतः जल्दी ही बहिष्कार की उमंग फीकी की अपेक्षा काफी महँगा था। गरीब इसे खरीद नहीं सकते थे। अतः जल्दी ही बहिष्कार की उमंग फीकी पड़ गयी।

(iii) वैकल्पिक व्यवस्था का अभाव―ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से नयी समस्याएँ पैदा हुई। स्कूलों, कॉलेजों, अदालतों का बहिष्कार तो कर दिया गया लेकिन वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना नहीं हुई। इसके परणिामस्वरूप शिक्षक और विद्यार्थी पुनः स्कूल में लौट गये तथा वकील दुबारा अदालतों में दिखायी देने लगे।

(iv) हिंसा का मार्ग अपनाना―यद्यपि आंदोलन का प्रारंभ शांतिपूर्ण प्रदर्शनों तथा विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से हुआ, लेकिन शीघ्र ही आंदोलन ने हिंसा का मार्ग पकड़ लिया। हिंसा की चरम परिणति चौरी-चौरा कांड के रूप में हुई जब उग्र आंदोलनकारियों ने एक थाने में आग लगा दी।










प्रश्न 10. कारण बताइए क्यों शहरों में असहयोग आन्दोलन धीमा पड़ गया?

उत्तर―(i) भारतीयों ने शुरू में बढ़-बढ़ कर स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थान एवं अदालतों का बहिष्कार तो किया पर उनके स्थान पर शिक्षा एवं रोजगार की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थीं। अत: शहरों में छात्र स्कूल-कॉलेजों में और वकील अदालतों में लौट कर सरकारी व्यवस्था में सहयोग देने लगे। 

(ii) भारतीय खादी के कपड़े विदेशी कपड़ों से महंगे होते थे। इस कारण से शहर के गरीब पुनः विदेशी मिलों के कपड़े पहनने लगे।


 ◆ नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन


प्रश्न 1. साइमन कमीशन कब भारत आया था?

उत्तर―साइमन कमीशन 1928 में भारत आया था।



प्रश्न 2. साइमन कमीशन क्या था?भारत में उसका विरोध क्यों किया गया?

अथवा, साइमन कमीशन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर―(i) 1927 ई. में ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जबाव में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जता है। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।

(ii) इस आयोग का कार्य भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तनुरूप सुझाव देना था। इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे।

(iii) भारत में इसका विरोध इसलिए किया गया कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था। सारे सदस्य अंग्रेज थे। 1928 में जब साइमन कमीशन भरत पहुँचा तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों से किया गया।

(iv) काँग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।

(v) पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने उन पर इतनी लाठियाँ बरसायीं कि इस प्रकार से उनकी मृत्यु हो गयी।


प्रश्न 3. डांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं ? संक्षेप में लिखिए।

अथवा, डांडी मार्च अभूतपूर्व घटना साबित हुई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया। स्पष्ट करें।

अधवा, नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर―(i) गाँधी जी द्वारा अंग्रेजों द्वारा लगाये गये नमक कर के विरोध में चलाया गया। आंदोलन नमक आंदोलन के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के अन्तर्गत गाँधी जी ने अपने गिने-चुने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से 240 किमी दूर डांडी नामक तटीय कस्बे तक की पैदल यात्रा की। डांडी यात्रा द्वारा ही गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।

(ii) 6 अप्रैल को डांडी पहुँच कर गाँधी जीने समुद्र के पानी को उबाल कर नमक बनाया था, और नमक कानून का उल्लंघन किया। डांडी यात्रा द्वारा ही गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।

(iii) स्वतंत्रता के लिए देश को एकजुट करने के लिए गाँधी जी ने नमक को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में देखा । नमक सर्वसाधारण के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा था। अत: नमक कर को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया।

(iv) यद्यपि नमक आंदोलन का केन्द्रीय उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था, लेकिन इस आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनमानस में एक राष्ट्रीय विरोध की भावना को जन्म दिया।

(v) नमक कानून तोड़कर गाँधीजी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकर को अपने सत्याग्रह के तरीके से जवाब दिया। इस आन्दोल के जरिये गाँधी जी ने समाज के सभी तबकों को प्रभावित किया तथा उनहं उपनिवेशवाद क खिलाफ प्रतिरोध के लिए प्रेरित कर दिया।इस प्रकार, डांडी मार्च अभूतपूर्व घटना साबित हुई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया।













प्रश्न 4. सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या था? यह क्यों शुरू किया गया।

उत्तर―अत्यधिक महंगाई से उत्पन्न अराजक स्थिति के बीच अँग्रेजो धारा नमक कानून लागू करने से जनता में आक्रोश व्याप्त था। गाँधी जी ने आन्दोलन को हिंसात्मक होने से बचाने और सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से डांडी यात्रा के द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की। यह 1930 से 1934 ई०तक चला। सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधीवादी प्रतिरोध का एक रूप था।

सविनय अवज्ञा से गाँधी जी का अभिप्राय अंग्रेजों की शांतिपूर्वक अवज्ञा करना अथवा उनके आदेशों की अवहेलना करना था। उनहोंने सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ डांडी मार्च एवं नमक कानून का उल्लंघन कर किया।

     सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन से इस अर्ध में भिन्न था कि जहाँ असहयोग आंदोलन में लोगों को अंग्रेजों के साथ सहयोग करने से मन किया गया था वहीं सविनय अवज्ञा आन्दोलन में लोगों को औपनिवेशिक कानून का उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत देश के विभिन्न भागों में नमक कानून का उल्लंघन किया गया, सरकारी नमक के कारखानों के सामने प्रदर्शन किया गया,

शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी, विदेशी वस्त्रों की होली जलायी गयी किसानों ने लगान तथा चौकीदारी कर चुकाने से इन्कार कर दिया, गाँवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफा देने लगे तथा लोगों ने लकड़ी तथा अन्य वनोत्पादों को बीनने तथा मवेशियों को चराने के लिए आरक्षित वनों में फंसकर वन कानूनों का उल्लंघन करना प्रारंभ कर दिया।

       इस प्रकार डांडी मार्च से शुरू हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया ।


प्रश्न 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिये।

उत्तर―विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिसा लिया।क्योंकि 'स्वराज' के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे। जैसे-

(i) जयादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखतेथे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होगी और व्यापार व उद्योग निर्वाध ढंग से फल-पूल सकेंगे।

(ii) धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।

(iii) महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति ।

(iv) गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, उनके पास स्वयं की जमीन होगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगारनहीं करनी पड़ेगी।


प्रश्न 6. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे? चर्चा कीजिए।

उत्तर―(i) राजनीतिक नेता भारत समाज में विभिन्न वर्गो-समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।

(ii) डॉ. भीमराव अम्बेदकर दलित वर्गों या दलितों का नेतृत्व करते थे जबकि मुहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम समुदायां का प्रतिनिधित्व करते थे।

(iii) ये नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और प्राीम निर्वाचन क्षेत्र माँगकर अनुयायियों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे।

(iv) गाँधी जी का मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।


प्रश्न 7. पूना समझौता (पैक्ट) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर―(i) डॉ. अंबेदकर का मानना था कि दलित वर्ग की समस्याओं का समाधान तथा उनकी सामाजिक अपंगता का निवारण केवल राजनीतिक सशक्तिकरण के द्वारा ही किया जा सकता है। अतः उन्होंने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का जोर-शोर से समर्थन किया।

(ii) इस विषय पर गाँधी जी से उनका गंभीर विवाद हुआ। इसी बीच सरकार ने अंबेदकर की बात मान ली। इसके विरोध में गाँधी जी ने आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया।

(iii) अन्य राष्ट्रवादी नेताओं की मध्यस्थता से गाँधी जी और अंबेदकर के बीच सितंबर 1932 ई. में एक समझौता हुआ जिसे पून-पैक्ट के नाम से जाना जाता है।

(iv) इन समझौते के अनुसार दलित वर्ग को प्रांतीय एंव केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गयीं।

(v) उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होने की व्यवस्था की गयी।


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18. इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

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                                                    2.   इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन            

                                           (National Movement in Indo-China)


प्रश्न 1. उपनिवेशकारों के 'सभ्यता मिशन' का क्या अर्थ था ?

उत्तर―फ्रांसीसी लोग वियतनाम के लोगों को असभ्य मानकर उन्हें सभ्य बनाना चाहते थे। इसके लिए वे शिक्षा को काफी अहम् मानते थे।


प्रश्न 2. वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे । व्याख्या कीजिए। 

                                        [JAC 2011 (A)]

उत्तर―वियतनाम में शिक्षा काफी महंगी थी। इसलिए गरीब अपने बच्चों को फीस देकर नहीं पढ़ा सकते थे। काफी संख्या में वियतनामी छात्रों को परीक्षा में जान-बूझकर फेल भी कर दिया जाता था। इसलिए वहा एक तिहाइ विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक कर पाते थे।


प्रश्न 3. फ्रांसीसियों ने मेकांग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना और जमीनो को सींचना शुरू किया। व्याख्या कीजिए। [NCERT]

उत्तर―फ्रांसीसियों को मेकाँग डेल्य क्षेत्र में नहरों को बनवाने और जमीनों को सींचने का मुख्य उद्देश्य फसलों के उत्पादन को बढ़ाना था।


प्रश्न 4. सरकार ने आदेश दिया कि साईगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था। व्यायम कीजिए। [JAC 2016(A)]

उत्तर―छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। सरकार को यह डर था कि यह आंदोलन उग्र रूप न धारण कर ले।


प्रश्न 5. हनोई के आधुनिक, नव-निर्मित इलाकों में चूहे बहुत थे।व्याख्या कीजिए। [JAC 2016 (A)]

उत्तर―हनोई के आधुनिक इलाकों में सीवर काफी अधिक थे। ये सीवर ही चूहों के पनपने के लिए आदर्श साबित हुए।


प्रश्न 6. कन्फ्यूशियस कौन थे?

उत्तर―कन्फ्यूशियस एक चीनी विचारक थे जिन्होंने सदाचार, व्यवहार बुद्धि और उचित सामाजिक संबंधों को आधार बनाते हुए एक दार्शनिक व्यवस्था विकसित की थी।


प्रश्न 7. संरचनागत से क्या तात्पर्य है?

उत्तर―ऐसी विशाल परियोजनाएं, जिनसे अर्थव्यवस्था का ढाँचा तैयार होता है। बड़ी सड़क परियोजनाएँ, रेल नेटवर्क या बिजलीधर आदि इसी तरह की परियोजनाएँ हैं।


प्रश्न 8. समन्वयवाद का अर्थ लिखिए।

उत्तर―ऐसा विश्वास जिसमें भिन्नताओं के बजाय समानताओं पर ध्यान देते हुए अलग-अलग मान्यताओं और आचारों को एक-दूसरे के साथ लाने का प्रयास किया जाता है।


प्रश्न 9. यातना शिविर से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर―एक प्रकार की जेल, जिसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही लोगों को कैद में डाल दिया जाता है। कारागार में निर्मम अत्याचार तथा तरह-तरह की प्रताड़ना दी जाती है।


प्रश्न 10. गणतंत्र से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर―आम जनता की सहमति और जन-प्रतिनिधित्व पर आधारित शासन-व्यवस्था, जो संविधान के अनुकूल कार्य करती है।


प्रश्न 11. नापाम क्या है?

उत्तर― यह अग्नि बमों के लिए गैसोलीन को फुलाने में इस्तेमाल होने वाला एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है। यह मिश्रण धीरे-धीरे जलता है और मानव त्वचा जैसीकिसी भी सतह के संपर्क में आने पर उससे चिपक जाता है और जलता रहता है।


प्रश्न 12. कोलोन से क्या तात्पर्य है।

उत्तर―वियतनाम में रहने वाले फ्रांसीसी नागरिकों को कोलोन कहा जाता था।


प्रश्न 13. वियतनाम को स्वतंत्रता कब मिली?

उत्तर― 1945.


प्रश्न 14. वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कब और किसने की?

उत्तर―1930, हो ची मिन्ह।


प्रश्न 15. सनयात-सेन (Sun Yat-Sen) कौन था?

उत्तर―सुनयात सेन एक चीनी राष्ट्रवादी था जिसके नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार ने चिरकाल से चीन में स्थापित राजतंत्र को उखाड़ फेंका था।


प्रश्न 16. इंडो-चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी का संस्थापक कौन था?

उत्तर―हो ची मिन्ह।


प्रश्न 17. बाओ दाई कौन था?

उत्तर―बाओ दाई कठपुतली शासक था जिसे जेनेवा कांफ्रेंस के बाद दक्षिण वियतनाम का शासक बना दिया गया था।


प्रश्न 18. अध्यादेश 10 क्या था ?

उत्तर―यह एक फ्रांसीसी कानून था जिसमें ईसाई धर्म को तो मान्यता दी गई थी लेकिन बौद्ध धर्म गैर कानूनी घोषित किया गया।


प्रश्न 19. ट्रंग बहनें कौन थीं?

उत्तर―व वियतनामी राष्ट्रवादी थीं जो चीन से देश को बचाने के लिए लड़ी।


प्रश्न 20. त्रियु अयू कौन थी?

उत्तर―वह एक युवती थी जिसने वियतनाम में चीनी शासन का विरोध करने के लिए एक बड़ी सेना संगठित की थी।


                          लघु उतरीय प्रश्नोत्त


प्रश्न 1. फ्रांसीसी इंडो-चाइना का निर्माण कैसे हुआ?

उत्तर―(i) फ्रांसीसी कंपनियों ने 1858 में वियतनाम में डेरा डाला।

(ii) 1880 के दशक के मध्य तक उन्होंने उत्तरी क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। 

(iii) फ्रांस-चीन युद्ध के बाद उन्होंने टकिन और अनाम पर भी कब्जा कर लिया और 1887 को फ्रांसीसी इंडो-चाइना का गठन किया गया ।


प्रश्न 2. पूर्व की ओर चलो (गो-ईस्ट) आंदोलन क्या था?

उत्तर―(i) यह 20वीं सदी के प्रथम दशक में चलाया गया एक आंदोलन था।

(ii) 1907-1908 में लगभग 300 वियतनामी राष्ट्रवादी छात्र आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए जापान गए।

(iii) इनमें से अधिकांश का चरम लक्ष्य यही था कि फ्रांसीसियों के वियतनाम से बाहर निकाल दिया जाए, कठपुतली सम्राट को अपदस्थ किया जाए और फ्रांसीसियों द्वारा अपमानित करके गद्दी से हटाए गए न्यूयेन राजवंश को पुनः गद्दी पर बिठाया जाए।

(iv) इन राष्ट्रवादियों को विदेशी हथियार और मदद लेने से कोई परहेज नहीं था। उन्होंने इसके लिए एशियाई होने के नाते जापानियों से मदद माँगी।


प्रश्न 3. वियतनाम पर 1929 की महामंदी का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर―(i) 1930 के दशक में आई महामंदी ने विश्व के अनेक अर्थ-व्यवस्थाओं को प्रभावित किया और वियतनाम पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा।

(ii) रबड़ और चावल के दाम गिर गए और कर्जा बढ़ने लगा। चारों ओर बेरोजगारी और ग्रामीण विद्रोहों का बोलबाला था। अन्धे अन और हा तिन्ह प्रान्तों में भी ऐसे ही आंदोलन हुए।

(iii) ये सबसे निर्धन प्रान्त थे जहाँ रैलिडकल आंदोलन की एक लंबी परंपरा चली आ रही थी जिसके कारण उन्हें वियतनाम की लपलपाती चिंगारी कहा जाता था। जब भी बड़ा संकट आता था तो सबसे पहले वहीं असंतोष की ज्वाला भड़कती थी तथा लोग औपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन पर उतर आते थे।

(iv) औपनिवेशिक सरकार ने इन विद्रोहों को सख्ती से कुचल डाला और यहाँ तक कि जुलूसों पर हवाई जहाजों से बमबारी भी की गई। महामंदी तथा मजदूरों के प्रति फ्रांसीसी क्रूरता ने राष्ट्रवादी नेताओं को संगठित होने का अवसर प्रदान कर दिया।


प्रश्न 4. फ्रांसीसियों ने मेकाँग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना और जमीनों को सुखाना शुरू किया। [JAC 2010 (A)]

उत्तर―फ्रांसीसी मेकाँग डेल्टा क्षेत्र में खेती का विस्तार करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र में जमीनों को सुखाना आरंभ कर दिया। सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए बहुत सी नहर खुदवाई गई और भूमिगत जलधाराएँ बनाई गई। इसके लिए कई लोगों को जबरदस्ती काम पर लगाया गया। इस व्यवस्था से चावल के उत्पादन में असाधारण वृद्धि हुई। फलस्वरूप 1931 तक वियतनाम संसार में चावल का तीसरा बड़ा निर्यातक बन गया।



प्रश्न 5. सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था।

                                                     [JAC 2017(A)]

उत्तर―1926 में साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल (वियतनाम) में एक विवाद उठ खड़ा हुआ। यह विवाद एक वियतनामी लड़की की सीट बदलने से पैदा हुआ।उसे कक्षा में अगली सीट से उठाकर पिछली सीट पर जाकर बैठने के लिए कहा गया। क्योंकि उस सीट पर एक फ्रांसीसी लड़की को बैठना था। जब लड़की ने सीट छोड़ने से इंकार किया, तो स्कूल के कोलोन पिंसीपल ने उसे स्कूल से निकाल दिया। अन्य विद्यार्थियों ने इसका जम कर विरोध किया। इस पर उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया । इस विवाद ने एक बहुत बड़े आंदोलन का रूप ले लिया । लाग खुले आम जुलूस निकालने लगे। स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी। अत: फ्रांसीसी सरकार ने हार कर प्रिंसीपल को आदेश दिया कि लड़की को पुनः स्कूल में ले । फलस्वरूप प्रिंसीपल को लड़की को वापस दाखिला देना पड़ा।


प्रश्न 6. हेनोई के आधुनिक, नवनिर्मित इलाकों में चूहे बहुत थे।

                                      [JAC 2010 (C); 2016 (A)]

उत्तर―हेनोई के फ्रांसीसी आबादी वाले क्षेत्र को सुन्दर और साफ-सुथरा बनाया गया था। वहाँ जल निकासी की उचित व्यवस्था थी। इसके लिए विशाल सीवर बनाये गए थे। यही सीवर चूहों के पनपने के स्थल बन गये। ये सीवर चूहों के आवागमन के लिए भी आदर्श थे। इनमें से होते हुए चूहे पूरे शहर में बिना रोक-टोक के घूमते रहते थे। वे फ्रांसीसियों के घरों में घुस जाते थे। अत:1902 में उन्हें पकड़ने का अभियान चलाया गया। इस काम पर वियतनामियों को लगाया गया। उन्हें हर चूहे के बदले इनाम दिया जाने लगा। चूहों की संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 30 मई, 1902 को एक ही दिन में 20,000 चूहे पकड़े गए।



प्रश्न 7. टोंकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे कौन-से विचार थे? वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से यह उदाहरण कितना सटीक है? [JAC 2013 (A)]

उत्तर―टोंकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे फ्रांसीसी सरकार का उद्देश्य वियतनामी बच्चों को आधुनिकता का पाठ पढ़ाना था ताकि वियतनामी बच्चे पश्चिमी लोगों के रंग में रम जाएँ। टोंकन फ्री स्कूल में विज्ञान, स्वच्छता और फ्रांसीसी भाशा की कक्षाएं भी शमिल थीं। इसके लिए अलग से शाम को कक्षाएँ लगाई जाती थीं और सकी फीस भी अलग से ली जाती थी। वियतनामी बच्चों को सुन्दर दिखने के लिए छोटे-छोटे बाल रखने की सलाह दी जाती थीं। जबकि वे पारंपरिक रूप से लंबे बाल रखते थे। इस उदाहरण से पता चलता है कि फ्रांसीसी उपनिवेशक वियतनामी लोगों की मूल पहचान को समाप्त कर देना चाहते थे, ताकि उनमें साम्राज्यवादी विरोधी भावना न उभर सके।


प्रश्न 8. 'फ्रांसीसियों ने उपनिवेशवाद को अनिवार्य समझा।' कारण बताइए।

उत्तर―(i) कच्चे माल की आपूर्ति―प्राकृतिक संसाधनों तथा अन्य आवश्यक माल की आपूर्ति के लिए उपनिवेश बनाना आवश्यक समझा गया ।

(ii) असभ्य लोगों को सभ्य बनाना―कई यूरोपीय देशों की यह राय थी कि एफ्रो-एशियाई लोग असभ्य थे तथा सोचते थे कि दुनिया के पिछड़े लोगों तक सभ्यता का लाभ पहुंचाना विकसित यूरोपीय राष्ट्रों का दायित्व है।


प्रश्न 9.पॉल बर्नार्ड कौन था? उपनिवेशों के विकास के बारे में उसके क्या विचार थे?

उत्तर―पॉल बर्नार्ड एक प्रभावशाली लेखक तथा नीति-निर्माता था जिसने फ्रांसीसी उपनिवेशों को विकसित करने का प्रारूप प्रस्तावित किया था।उसका दृढ़ विश्वास था कि उपनिवेश का आर्थिक विकास एकमात्र ढंग है जो देश को लाभ पहुँचाने में सहायक हो सकता है। उसका कहना था कि उपनिवेश लाभ कमाने के लिए बनाए जाते हैं । यदि उपनिवेश बनाए जाते हैं और लोगों के प्रति व्यक्ति आय उच्च होती है तो इससे उनकी क्रय-शक्ति बढ़ेगी और वे और अधिक वस्तुएँ खरीद सकेंगे। परिणामस्वरूप बाजार को विस्तार मिलेगा जिससे फ्रांसीसी व्यवसाय को बेहतर लाभ मिलेगा।


प्रश्न 10. उपनिवेशकों का 'सभ्यता मिशन' क्या था? [JAC 2009(S)]

उत्तर―वियतनाम का उपनिवेशवाद केवल आर्थिक शोषण पर आधारित नहीं था परन्तु इसके पीछे 'सभ्य' बनाने का विचार भी क्रियाशील था। भारत में अंग्रेजों की तरह फ्रांसीसियों का दावा था कि वे वियतनाम के लोगों को आधुनिक सभ्यता से परिचित करा रहे हैं। उनकी राय थी कि यूरोप में सबसे विकसित सभ्यता कायम हो चुकी है। अतः वे मानते थे कि उपनिवेशों में आधुनिक विचारों का प्रसार करना यूरोपियों का ही दायित्व है।


प्रश्न 11. रेडिकल आंदोलन या लपलपाती चिंगारी से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर―1930 के दशक में आई महामंदी ने वियतनाम पर भी गहरा असर डाला। रबड़ और चावल के दाम गिए गए और कर्जा बढ़ने लगा। चारों तरफ बेरोजगारी और ग्रामीण विद्रोहों का बोलबाला था। न्ये अन और हा तिन्ह प्रान्तों में भी ऐसे ही आंदोलन हुए, जो सबसे गरीब प्रान्त थे। इस आंदोलन को रेडिकल आंदोलन या लपलपाती चिंगारी कहा जाता था।


प्रश्न 12. "होआ हाओ आंदोलन" से आप क्या समझते हैं ? इसके संस्थापक कौन थे?

उत्तर―होआ हाओ आंदोलन उन्नीसवीं सदी के उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों में उपजे विचारों से प्रेरति था। यह आंदोलन 1939 में शुरू हुआ था । हरे-भरे मेकाँग डेल्या इलाके में इसे भारी लोकप्रियता मिली। इस आंदोलन के संस्थापक हुइन फू सो थे।


प्रश्न 13. उन्नीसवीं सदी के अंत में फ्रांसीसियों के विरोध का नेतृत्व किनके हाथों में था? उनके प्रमुख नेता और संगठन कौन-से थे?

उत्तर―उन्नीसवीं सदी अंत में फ्रांसीसियों के विरोध का नेतृत्व कन्फ्यूशियस एवं विद्वानों-कार्यकर्ताओं के हाथों में था, जिन्हें अपनी दुनिया बिखरती दिखाई दे रही थी। कन्फ्यूशियस परम्परा में शिक्षित फान बोई चाऊ प्रमुख नेता थे।1903 में उन्होंने रेवोल्यूशनरी सोसायटी नामक पार्टी का गठन किया और तभी से वह उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के अहम् नेता बन गए थे। राजकुमार कुआंग दे इस पार्टी के मुखिया थे।



प्रश्न 14. फ्रांस द्वारा वियतनाम में पश्चिमी शिक्षा के नये स्कूलों की मुख्य विशेषताएं क्या थीं?

उत्तर―(i) नयी शिक्षा व्यवस्था में विज्ञान, स्वच्छता तथा फ्रांसीसी भाषा पर विशेष बल दिया जाता था।

(ii) पश्चिमी शिक्षा के साथ इन स्कूलों में पश्चिमी शैली को भी बढ़ावा दिया जाता था जैसे छोटे-छोटे बाल रखने की शैली।

(iii) इन स्कूलों में पश्चिमी कपड़े पहनने और टेनिस जैसे पश्चिमी खेल खेलने पर बल दिया जाता था।


(iv) परंपरागत वियतनामियों के लिए बालों का वही महत्त्व था जो सिर का होता है। अतः इन नए स्कूलों की स्थापना से वियतनामी परम्परागत संस्कृति को गहरा आघात लगा।


प्रश्न 15. 'विद्वानों का विद्रोह' से क्या अभिप्राय है?

उत्तर―अठारहवीं सदी से ही बहुत सारे धार्मिक आंदोलन पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव और उपस्थिति के विरुद्ध जागृति फैलाने का यल कर रहे थे। सन् 1868 का विद्वानों का विद्रोह (Scholars Revolt) फ्रांसीसी कब्जे और ईसाई धर्म के प्रसार के विरुद्ध प्रारंभिक आंदोलनों में से था। इस आंदोलन की बागडोर शाही दरबार के अफसरों के हाथ में थी। ये अफसर कैथलिक धर्म और फ्रांसीसी सत्ता के प्रसार से नाराज थे। उन्होंने न्गू अन और हा तिएन प्रांतों में विद्रोहों का नेतृत्व किया और एक हजार से अधिक ईसाइयों का वध कर डाला। कैथलिक मिशनरी 17वीं सदी के शुरुआत से ही स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ने में लगे हुए थे और 18वीं सदी के अंत तक आते-जाते उन्होंने लगभग 3,00,000 लोगों को ईसाई बना लिया था । फ्रांसीसियों ने 1968 के आंदोलन को कुचल डाला परन्तु इस विद्रोह ने उनके विरुद्ध अन्य देशभक्तों में उत्साह का संचार अवश्य कर दिया।


प्रश्न 16. हो ची मिन्ह भूल भुलैया मार्ग से क्या तात्पर्य है ? वियतनाम के युद्ध में इसका क्या महत्त्व है ? [JAC 2012(A), 2015 (A)]

अथवा, हो चो मिन्ह भूलभूलैया मार्ग संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

अथवा, हो ची मिन्ह मार्ग पर वियतनामियों ने अमेरिका के विरूद्ध किस तरह लोहा लिया? [JAC 2015 (A)]

उत्तर―हो ची मिन्ह भूलभुलैया मार्ग फुटपाथों तथा सड़कों का एक विशाल नेटवर्क था जिसके माध्यम से देश के उत्तर से दक्षिण की ओर सैनिक व रसद भेजे जाते थे।

महत्त्व―(i) हो ची मिन्ह मार्ग को देखते ही इस बात को अच्छी तरह समझा जा सकता है कि वियतनामियों ने अमेरिका के विरुद्ध किस प्रकार युद्ध लड़ा।

(ii) इससे स्पष्ट होता है कि वियतनाम के लोगों ने अपने सीमित संसाधनों का कितनी सूझबूझ से भरी सैन्य शक्ति के विरुद्ध उपयोग किया।

(iii) इस मार्ग द्वारा प्रत्येक मास लगभग 20,000 उत्तरी वियतनामा सैनिक दक्षिणी वियतनाम पहुंचने लगे थे।



प्रश्न 17. वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक कर पाते थे । व्याख्या करें। [NCERT]

अथवा, कुल एक तिहाई विद्यार्थी ही वियतनाम में स्कूली शिक्षा पास कर पाते थे। क्यों? [JAC 2012 (A)]

उत्तर―यह प्रायः जानबूझकर अपनाई गई नीति के कारण था कि विद्यार्थियों को फेल कर दिया जाता था, विशेषतः अंतिम वर्ष में, ताकि वे उच्च नौकरियाँ प्राप्त करने की योग्यता न पा सकें। प्राय: दो-तिहाई विद्यार्थियों को फेल कर दिया जाता था।

                      


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17. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

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                                                         यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय         

                                     (The Rise of Nationalism in Europe)




प्रश्न 1. राष्ट्रवाद किसे कहते हैं ?

उत्तर―राष्ट्रवाद एक ऐसी मनःस्थिति है, जिसमें एक समूह के लोगों की भावना या संवेग एक साथ मिलकर एक भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं, एक जैसी भाषा बोलते हैं, जिनका एक साहित्य होता है जिसमें राष्ट्रवाद की भावनाओं से युक्त प्रत्याशाएँ होती हैं, जो जनसाधारण की परम्पराओं से जुड़ा होता है।


प्रश्न 2. निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं ?

                                       [JAC 2012 (A); 2016 (A)]

उत्तर―निरंकुशवाद का सामान्य अर्थ एक ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था है जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता। इतिहास में ऐसी राजशाही सरकारों को निरंकुश सरकार कहते हैं जो अत्यंत केन्द्रीकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती थीं।


प्रश्न 3. फ्रेड्रिक सॉरयू कौन था ?

उत्तर―फ्रेड्रिक सॉरयू एक फ्रांसीसी कलाकार था जिसने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई जिसमें एक ऐसे सपनों का संसार था, जो जनतांत्रिक और सामाजिक गणतंत्रों से मिलकर बना था।


प्रश्न 4. किन्हीं चार देशों के नाम बताएँ जो फ्रेड्रिक सॉरयू के चित्र में दिखाए जुलूस का एक हिस्सा थे।

उत्तर―जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी तथा रूस ।


प्रश्न 5. राष्ट्र राज्य क्या है ?

उत्तर―राष्ट्रीयता की धारणा पर आधारित राज्य को राष्ट्र राज्य कहते हैं। इसमें अधिकांश नागरिकों तथा शासकों में सामूहिक पहचान की भावना पैदा होती है।


प्रश्न 6. फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा उठाए गए किन्हीं दो कदमों का उल्लेख करें, जिन्हें फ्रांस के लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना बनाए रखने के लिए आरम्भ किया था।

उत्तर―(i) एक नया फ्रांसीसी झंडा-तिरंगा चुना गया, जिसने पहले के ध्वज की जगह ले ली।

(ii) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई।


प्रश्न 7. जनमत संग्रह क्या है?

उत्तर―एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके जरिये क्षेत्र के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है।


प्रश्न 8. ज्युसेपी मेसिनी द्वारा स्थापित किन्हीं दो गुप्त संगठनों के नाम बताएँ।

उत्तर―(i) मार्सेई में यंग इटली । (ii) बर्न में यंग यूरोप ।


प्रश्न 9. उन देशों के नाम बताएँ जहाँ ज्यूसेपी मेसिनी द्वारा गुप्त संगठनों को स्थापित किया गया ?

उत्तर―पोलैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड तथा जर्मनी ।


प्रश्न 10. रूढ़िवादियों तथा क्रांतिकारियों में कोई एक अंतर बताएँ।

उत्तर― रूढ़िवादियों राजतंत्र का समर्थन करते थे जबकि क्रान्किारी राजतंत्रीय व्यवस्था का विरोध करते थे।


प्रश्न 11. क्रांतिकारी कौन थे?

उत्तर―क्रांतिकारी वे लोग थे जो वियना सममेलन के बाद स्थापित राजतांत्रिक प्रकार की सरकारों के विरुद्ध थे। ये राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना के पक्ष में थे।


प्रश्न 12. रूमानीवाद क्या है ?

उत्तर―यह एक कलात्मक, साहित्यिक तथा बुद्धिजीवी आंदोलन था, जिसका विकास 18वीं शताब्दी में राष्ट्रवादी भावनाओं के एक विशेष प्रकार के लिए हुआ। इस आंदोलन ने लोक कला तथा मातृभाषा का गौरव बढ़ाया।


प्रश्न 13. योहान गॉटफ्रीड कौन था?

उत्तर―योहान गॉटफ्रीड उन प्रसिद्ध स्वच्छंदतावादी जर्मन दार्शनिकों में से एक था जिन्होंने यह दावा किया था कि वास्तविक जर्मन संस्कृति उसके आम निवासियों (das volk) में ही खोजी जा सकती है।


प्रश्न 14. प्रशा के राजा फ्रेडरीक विल्टेम चतुर्थ द्वारा फ्रैंकफर्ट संसद को अस्वीकार क्यों किया गया?

उत्तर―क्योंकि सदस्यों ने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को दी गई जिसे संसद के अधीन रहना था।


प्रश्न 15. उन देशों के नाम बताएँ जो सात वर्षों के युद्ध (1864-70) में सम्मिलित थे।

उत्तर―ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी ।


प्रश्न 16. 1871 में जर्मनी का सम्राट किसे घोषित किया गया?

उत्तर―प्रशा का राजा विलियम प्रथम ।


प्रश्न 17. यंग इटली क्या है ? [JAC 2009 (A)]

उत्तर―यह एक गुप्त संगठन था, जिसे इटली के एकीकरण के लिए ज्युसेपी मेत्सिनी द्वारा गठित किया गया ।


प्रश्न 18. इटली के एकीकरण के प्रमुख निर्माता कौन थे ?

उत्तर―ज्युसेपे मेत्सिनी, शसक विक्टर इमेनुएल तथा काबूर।


प्रश्न 19. एकीकृत से पहले के किन्हीं दो इतालियन राज्यों के नाम बताएं।

उत्तर―सिसिलियों के साम्राज्य तथा पापल राज्य ।


प्रश्न 20. आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में कब शामिल किया गया?

उत्तर―1981.


प्रश्न 21. मारीआन से आपका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर―मारीआन एक नारी रूप थी, जिसने फ्रांस में लोगों के राष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया। उसकी प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौकों पर लगाई गई ताकि जनता को राष्ट्रीय एकता के प्रतीक की याद आती रहे।


प्रश्न 22. जर्मेनिया से आपका क्या तात्पर्य है?

उत्तर―जर्मनी में, जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। जर्मेनिया को बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाया गया है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।


प्रश्न 23. उन प्रमुख शक्तियों के नाम बताएँ जो कि बाल्कान समस्या में शामिल थीं।

उत्तर―रूस, जर्मनी, इंग्लैंड तथ ऑस्ट्रो-हंगरी ।


प्रश्न 23. उन प्रमुख शक्तियों के नाम बताएँ जो कि बाल्कान समस्या में शामिल थीं।

उत्तर―रूस, जर्मनी, इंग्लैंड तथ ऑस्ट्रो-हंगरी ।


प्रश्न 24. स्लाव (Slavs) कौन थे?

उत्तर―स्लाव बाल्कन क्षेत्र के निवासी थे, जिसमें आधुनिक रोमानिया,बुल्गेरिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएशिया आदि शामिल थे।


प्रश्न 25. नेपोलियन की संहिता क्या थी?

उत्तर―1804 को नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है, ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे। उसने कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।


प्रश्न 26. 'यूरोप में उन्नीसवीं सदी के शुरूआती दशकों में राष्ट्रीय एकता से संबंधित विचार उदारवाद से करीब से जुड़े थे ।'

उत्तर―उदारवाद यानी Liberalism शब्द लातिन भाषा के मूल Liber पर आधारित है जिसका अर्थ है 'आजाद'। नए मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी ।


प्रश्न 27. सीमाशुल्क-संघ की स्थापना क्यों हुई?

उत्तर―(i) सन् 1834 में प्रशा की पहल पर एक सीमाशुल्क संगठन या सीमाशुल्क-संघ की स्थापना की गई जिससे कई जर्मन राज्य आकर मिल गए ।इस संघ ने सीमाशुल्क नाकों को समाप्त कर दिया और मुद्रा की संख्या घटा कर दो कर दी, जो उससे पहले तीस से भी ऊपर थी।

(ii) इसने आर्थिक राष्ट्रवाद के आंदोलन को जन्म दिया जिसने उस समय में पनप रही व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत बनाया ।


प्रश्न 28. 'एक्ट ऑफ यूनियन' क्या तात्पर्य है?

उत्तर―इंगलैंड और स्कॉटलैंड के मध्य 1707 में 'एक्ट ऑफ यूनियन' का गठन हुआ जिसके फलस्वरूप 'यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का गठन हुआ जिसका प्रभाव यह हुआ कि इंगलैंड ने व्यावहारिक रूप में स्कॉटलैंड पर अपना प्रभुत्व जमा लिया।


प्रश्न 29. रूढ़िवादी कौन थे?

या, रूढ़िवादिता की क्या भावना थी?

उत्तर―रूढ़िवादिता एक राजनीतिक दर्शन था जो परंपराओं, स्थापित संस्थाओं व प्रथाओं के महत्त्व पर बल देता था तथा तीव्र परिवर्तन की बजाय मंथर विकास को महत्त्व देता था। 1815 में नेपोलियन की हार के बाद यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित हुई । यद्यपि अधिकांश रूढ़िवादी लोग पूर्व-क्रांति के दिनों में नहीं लौटना चाहते थे तथापि वे नेपोलियन संहिता द्वारा राजतंत्र कोप्रश्न 27. सीमाशुल्क-संघ की स्थापना क्यों हुई?

उत्तर―(i) सन् 1834 में प्रशा की पहल पर एक सीमाशुल्क संगठन या सीमाशुल्क-संघ की स्थापना की गई जिससे कई जर्मन राज्य आकर मिल गए ।इस संघ ने सीमाशुल्क नाकों को समाप्त कर दिया और मुद्रा की संख्या घटा कर दो कर दी, जो उससे पहले तीस से भी ऊपर थी।

(ii) इसने आर्थिक राष्ट्रवाद के आंदोलन को जन्म दिया जिसने उस समय में पनप रही व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत बनाया ।


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